क़ातिल हो तो खुल कर - डाकू बिजली lyrics | डाकू बिजली - क़ातिल हो तो खुल कर lyrics

क़ातिल हो तो खुल कर is a hindi song from the १९८६ movie डाकू बिजली. क़ातिल हो तो खुल कर singer is अनुराधा पौडवाल. क़ातिल हो तो खुल कर composer is अनवर (अनवर - उस्मान) and क़ातिल हो तो खुल कर lyricist or song writer is जलाल मलिहाबादी. क़ातिल हो तो खुल कर music director is अनवर (अनवर - उस्मान). क़ातिल हो तो खुल कर features पुनीत इस्सर. क़ातिल हो तो खुल कर director is and the producer is . The audio of क़ातिल हो तो खुल कर song was released on २२ण्ड अगस्त by टी-सीरीज. क़ातिल हो तो खुल कर YouTube video song can be watched above.



स क़ातिल हो तो खुल कर वार करो
छोड़ो ये बहाना ठीक नहीं
क़ातिल हो तो खुल कर वार करो
छोड़ो ये बहाना ठीक नहीं
क़ातिल हो तो खुल कर वार करो
छोड़ो ये बहाना ठीक नहीं
छोड़ो ये बहाना ठीक नहीं

सब तीर तो दिल के पार हुए
कहते हो निसाना ठीक नहीं
सब तीर तो दिल के पार हुए
कहते हो निसाना ठीक नहीं

महफ़िल में हज़रो बैठे हैं
यूँ ऑंखे लादना ठीक नहीं
महफ़िल में हज़रो बैठे हैं
यूँ ऑंखे लादना ठीक नहीं
महफ़िल में हज़रो बैठे हैं
यूँ ऑंखे लादना ठीक नहीं
यूँ ऑंखे लादना ठीक नहीं
अल्लाह बड़ा डर लगता हैं
सुनते है जमाना यहिक नहीं
अल्लाह बड़ा डर लगता हैं
सुनते है जमाना यहिक नहीं
महफ़िल में हज़रो बैठे हैं

अपना अंदाज़ है
दीवाना बनाने वाले
छुअप कर दो में
एक तीर चलने वाला
हम अलग चीज़ हैं
तुम ने हमें
समझा क्या हैं
कतल हो जाये तो
पूछे की तमना क्या हैं
इश्क करना हैं तो
अपना कभी दीदार करो
आइना देख के आओ
तो हमें प्यार करो
ऐसे वैसो से कभी
बात नहीं करते हम
ऐसे वैसो से कभी
बात नहीं करते हम

हर भिखारि में
मुलाकात नहीं करते हम
हर भिखारि में
मुलाकात नहीं करते हम
हम जो समझा एगे
तुमको तो बुरा मानोगे
ठोकरे खाओ गए
उस वक़्त कहा मानोगे
एक बार नहीं सोओ बार कहा
यु रोज का आना  ठीक नहीं
एक बार नहीं सोओ बार कहा
यु रोज का आना  ठीक नहीं
अल्लाह बड़ा डर लगता हैं

आफ़ते जा हो क़यामत बला हो क्या हो
ये मनोबत हैं तुम जाने वफा हो क्या हो
आँख उठती हैं तो संसिर नज़र आती हो
ज़ुलफ़ खुलती हैं तो ज़जीर नज़र आती हो
होठ हिलते हैं तो बोसो की महक आती हैं
हाथ मलती हो तो कंगन की खनक आती हैं
कभी बिजली कभी तूफान से लड़ जाती हो
अच्छी लगती हो जो गुस्से में बिगड़ जाती हो
बन जाओ मेरी सवारी रातो का उजाला

एक शम्मा जलने में
जमाना नहीं लगता
लगती नहीं जब देर
खफा होने में तुमको
ो खफा होने में तुमको
हा खफा होने में तुमको
हमको भी मानाने में
जमाना नहीं लगता
आज जुबा से ह कह दो
हा कह दो कह दो
तू आज जुबा से ह कह दो

ये रोज की न न ठीक नहीं
तू आज जुबा से ह कह दो
ये रोज की न न ठीक नहीं
क़ातिल हो तो खुल कर वार करो

इ इश्क़ खुदरा होसे में आ
े हुसैन मेरी आहोसे आ
मैं सब के बस का रोग नहीं
हम ऐसे वैसे लग नहीं
तुम हो गए हो दीवाने हो
तुम हम से अभी अनजान हो
सब इश्क़ धरा रह जाये गा
फिर हुसैन में क्या रह जाएगा
हम ख़ंजर हैं महफ़िल के लिए
हम जान भी देदे इन के लिए

ये ज़ूलफें नागिन जैसी हैं
ला चु के देखो कैसी हैं
ये हुसन नहीं अंगारा हैं
जो भी हैं मुझे सब प्यारा हैं
शबनम की तरह हैं रूप मेरा
सोला की तरह बेहरूप मेरा
तू कोई सवाली लगता हैं
तेरा हाथ ही खली लगता हैं
हम तुमको मिले मुस्किल हैं बहुत
इंकार तेरा कातिल है बहुत
तू जूठा जूठी बात तेरी

मनु मैं सब अवकात हैं तेरी
इन सब बातों में क्या रखा हैं
मिल जाओ ये मौका ाचा हैं
कुछ लोग खड़े हैं राहों में
आ तुझको छुपा लूँ भाहो में
आ तुझको छुपा लूँ भाहो में
आ तुझको छुपा लूँ भाहो में
आ तुझको छुपा लूँ भाहो में.


Singers: अनुराधा पौडवाल
Song Lyricists: जलाल मलिहाबादी
Music Composer: अनवर (अनवर - उस्मान)
Music Director: अनवर (अनवर - उस्मान)
Music Label: टी-सीरीज
Starring: पुनीत इस्सर
Release on: २२ण्ड अगस्त
1. Who is the music director of the song क़ातिल हो तो खुल कर
Ans: क़ातिल हो तो खुल कर song music director is अनवर (अनवर - उस्मान)
2. Who is/are the singer/singers of the song क़ातिल हो तो खुल कर
Ans: क़ातिल हो तो खुल कर song singer is अनुराधा पौडवाल
3. Who is the Composer of the song क़ातिल हो तो खुल कर
Ans: क़ातिल हो तो खुल कर song composer is अनवर (अनवर - उस्मान)
4. Who is the Lyricist of the song क़ातिल हो तो खुल कर
Ans: क़ातिल हो तो खुल कर song lyricist is जलाल मलिहाबादी
5. What is the movie of the song क़ातिल हो तो खुल कर
Ans: क़ातिल हो तो खुल कर song is from डाकू बिजली
6. Who wrote the song क़ातिल हो तो खुल कर
Ans: क़ातिल हो तो खुल कर song is written by जलाल मलिहाबादी

Find other songs in - डाकू बिजली

1
जब से ओ सजना

अनुराधा पौडवाल

2
बच के रहिये

सुजाता त्रिवेदी

3
जलवा ये जलवा

दिलराज कौर

4
ए मोमिन सुनो

मुहम्मद अज़ीज़