कलकत्ता हो या कशी इलहाबाद या इटारसी
जहा रहेगा बात कहेगा
जहा रहेगा बात कहेगा
सोलह आने सच्ची मां बनारसी
जहा रहेगा बात कहेगा
सोलह आने सच्ची मां बनारसी
कलकत्ता हो या कशी इलहाबाद या इटारसी
जहा रहेगा बात कहेगा
सोलह आने सच्ची मां बनारसी
अरे जहा रहेगा बात कहेगा
सोलह आने सच्ची मां बनारसी
हा सास ससुर जी कैसे हो
तुम बोलो तो कुछ बोलो
सास ससुर जी कैसे हो
तुम बोलो तो कुछ बोलो
तुम कुण्डी खुदको
मां तो दरवाजा खोलो
अच्छा अभी से खोलना चाहता है
खोल दो बेटा कुछ बोल भी दाल
सास ससुर न कहे की
दुल्हन कितनी दोलत लायी
सास ससुर न कहे की
दुल्हन कितनी दोलत लायी
समझे बहू के रूप में लक्समी
चलकर खुद घर आयी
लेकिन भाई जो सास बहू को
हाथो का मेल समझती है
भौ उसे शमशान की
चुडेल समझती है
अरे वो ससुरे जो दहेज
को कमै समझते है
हम उन्हें सुवर्ण के बड़े
भाई समझते हैं
अरे बिलकुल ठीक कहा मामू
सच्ची बात तो हर जूते
को लगती है तलवार सी
जहा रहेगा
जहा रहेगा बात कहेगा
सोलह आने सच्ची मां बनारसी
अरे जहा रहेगा बात कहेगा
सोलह आने सच्ची मां बनारसी
हा पत्नी और पति हो
कैसे उनके लिए कुकः बोलू
पत्नी और पति हो कैसे
उनके लिए कुकः बोलू
कुंजी ज़रा घुमाओ
मां मुह का ताला खोलो
कैसे खुलेगा बड़ी
कठिन समस्या है
ले घुमा दी कुंजी
पत्नी और पति का
रिश्ता जैसे दीपक बाती
पत्नी और पति का
रिश्ता जैसे दीपक बाती
दुःख और सुख आपस में
बनते तब हैं जीवन साथी
ऐसा हैं क्या तो सुन
लेकिन औरत को जो हवस की
सौगात समझते हैं
हम उन्हें गधे की औलाद
समझते हैं और सुनो
जो अपनी पत्नी को सता
और परायी को अट्ठा समझते हैं
हम उन्हें हुंदर्ड परसेंट
उल्लू का फटहा समझते हैं
अरे सही कहा मां
सच्ची बात तो हर
जूते को लगती हैं तलवार सी
जहा रहेगा
जहा रहेगा बात कहेगा
सोलह आने सच्ची मां बनारसी
कलकत्ता हो या कशी इलहाबाद या इटारसी
जहा रहेगा बात कहेगा
सोलह आने सच्ची मां बनारसी
अरे जहा रहेगा बात कहेगा
सोलह आने सच्ची मां बनारसी.
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