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Lyricsgram
शुक रम्भा lyrics
ओ मेरी मयि दे दे बिदाइ
मेरे बालो में सावन की घटा
ज्योत जगाओ ऋ चौक पुराओ री
हे शिव शंकर हे प्रलयंकर
दीप जलाओ अंगना में
पीर भरे मन्न को
न जा जोगी तू अकेले न जा
जाग रे योगी जाग रे