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रोटी lyrics

उलझ गए नैनवा
सजाना सांझ भई
फिर फ़ासले बाहर आई
क्यूँ रटता रोटी रोटी
रहने लगा हैं दिल में
मेघराज आये
गरीबों पर दया करके
रहम न खाना
ए प्रेम तेरी बलिहारी हो
यह पब्लिक है
यार हमारी बात सुनो
नाच मेरी बुलबुल
गोरे रंग पे न इतना