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पोंगा पंडित lyrics

यह बिरहा की आग ऐसी
वह मेरे पीछे पड़ी हुई है
तेरे मिलने से पहले
मैं जब छेड़ूँगा दिल का
जीजाजी मेरी दीदी है अनादि
गंगा घाट का पानी पिया है