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पडोसी lyrics
उठ मेरी प्यारी बेटी
काका अब्बा बड़े खिलाडी
अवधपुरी सब प्रेम ही छावा
कैसा छाया है उजाला रसिया
साथी जनम मरण का तू
सारी दुनिया मुसाफिर
मैं गीत सुनती रहती हूँ
काका अब्बा बड़े खिलाडी
म्हणत करले बन्दे
वो प्यार हमसे करते है
जिसको मिले पडोसी अच्छा
फ़र्ज़ रोके मोहब्बत बुलाये
मैं हूँ मजबूर