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Lyricsgram
निर्दोष lyrics
मैं हूँ पारी
दिल ही बुझा हुआ हो
यह मेरी चलती
तुझे खंजर से क्या मरू
कोई प्यार से तोहि देखे
कोई मंतर मार दे ऐसा
कसूर तेरी नज़रों का