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Lyricsgram
नाग पंचमी lyrics
न जाने कैसी बुरी घडी में
मेरी चुनरिया उड़ाए लिए जाए
मेरे आँगन में आये
मेरा जनम किसी को रुलाएं न
धरती से गगन तक ढुंडुंडु रे
धरती का नहीं नारी का संसार
आरती करो हरिहर की
ो नाग कहीं जा बसियो रे
सजने दो अँगना रचाने दो
भारत की नारी है तू
मैं नदिया की धारा