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मूर्ती lyrics

काहे को दिया जलाया
भली निभाई प्रीत रे परदेसी
ऐ चाँद नज़र न लगाना
सावन आया साजन
दिल जला के बूझ ले
अम्बुवा पे कोयल बोले
बदरिया बरस गयी उस पार
इतना भी न वह
हसीनो से हसीनो को
माना कि तुम हसीं हो