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Lyricsgram
मिर्ज़ा ग़ालिब lyrics
हमने माना के तगाफुल न
गंगा की रेती पे बंगला छवाई
सखी सर्कार है
वहशत ही सही
चलि पी के नगर
यह न थी हमारी किस्मत
आह को चाहिये एक उम्र
नुक्ता चीन है ग़म ए दिल
फिर मुझे दीदा इ टर
दिल ए नादाँ
है बस के हर एक उनके
रहिये अब ऐसी जगह