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मन का मीत lyrics
ज़माना जो ऑंखें
गरीबों को यह दुनिया
मचलता हुआ दिल
साकी ने बुलाया था
तू हुस्न का है दरभं
तेरे जैसे तो आते रहते है
काली काली रात डराये
कैसे कैसे ये जलवे
एक अनार्य जंगली जानवर
जिन जिन नकार
अपनी आँखों के जरोखो में