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Lyricsgram
मान lyrics
यह पहाड़ रौंद डाले
फैली है कबर आज ये
ो फैली है कबर
गुज़रा हुआ उल्फत का
दम भर का था दौर
अल्लाह भी है मल्लाह भी है
मेरे प्यार में तुझे
मैं क्या करून रूकती