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Lyricsgram
काशीनाथ lyrics
रोटी वृषभानु कुमारी निर्मोही
ो बन के पंछी
मेरे बगिया में कूके कोयल
मैं जान गया
लो शुरू हुई इस बार
बीत रही पूजा की घडिया
मेरे दुखों की
हम चले वतन की और
मनमोहन मुखडा मोड़