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Lyricsgram
इंसानियत lyrics
आयी झूम के बहार
तेरे संग संग
चुप चुप होने लगा
फुसर फुसर
ज़ुल्म सहे न
गुलाम तेरे हम है
क्या बोले क्या बोले
आशा के जब दीप बुझे
मैं बंदर हूँ
सारे लड़के करे तो करे शादी
मेरे दिल में तू
मैं नसीब हूँ किसी और का
लाल काघरी
कूदि हो गयी शराबी
साथी तेरा प्यार