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Lyricsgram
गीत lyrics
साकी साकी दिल बुझ ही
मैं तोह पिया की जोगनिया हूँ
मैं अकेली राजा आ जा
कब आग मोहब्बत की
हुआ सवेरा प्रीतम मेरा
चाँद खिला टारे मुस्काये
ो आग लगा के भाग गए
बेदर्द ज़माना अरे
लैला मजनू
जो दिल में बसाई थी तस्वीर
जिसके सपने हमें रोज़ आते है
बांसुरी बनै के
तेरे नैना क्यों भर आये
मेरे मितवा मेरे मीत रे
तुझ से मुझे प्यार था
तेरे सुर में मैं जाऊं
सर पे ग़म ग़म
आप जो मेरे मीत ना होते
हुवा क्या कसूर मुझसे
प्रेम पत्र आया हैं