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Lyricsgram
चार दिवारी lyrics
गोरी बाबुल का घरवा
झुक झुक झूम घटा छाई रे
अकेला तुझे जाने न दूँगी
हमको समझ बैठी
नींद प्यारी लोरी गए
कैसे मनाऊं