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बरखा lyrics

वह दूर जो नदिया बहती है
ऊँचे परबत गहरे सागर
प्यार किया नहीं जाता
पूछूँगी एक दिन
बरखा बहार आयी
छोड़ भी दे मझधार
तड़पाओगे तड़पा लो
सुर बदले कैसे कैसे देखो
एक रात में दो दो चाँद खिले