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अनमोल रतन lyrics
लाखों में एक
याद आने वाले फिर
सज्जन आये आधी रात
मोरे द्वार खुले
मेरे घूंघट में
काले काले बादलों में पानी
जब किसी के रुख पे
तारे वोहि हैं चाँद वही है
शिकवा तेरा मैं जाऊं
दर्द मिला है