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Lyricsgram
अमर दीप lyrics
लेलो लेलो गुब्बारे
ये जी चाहता है
लेने से इंकार नहीं
लगी अपनी नजरिया
किसी दिन ज़रा देख
जलि लो दिम तना
इस जहाँ का प्यार झूठा
अब डर है किसका
मेरे मानन का बावरा
दिल की दुनिया बसा के
देख हमें आवाज़ न देना
दुनिया में सदा रहने को
तुम नहीं मानोगे
कोई न तेरे पहले थी
हलकी सी कसक
दुनिया है बेवफा