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Lyricsgram
रतन lyrics
मिलके बिछड़ गयी
जब तुम्हीं चले परदेस
सावन के बादलों उनसे
रूम झूम बरसे बढ़ावा
झूठे हैं सब सपने
ओ जाने वाले बालमवा
अंगडाई तेरी है
आयी दिवाली
अँखियाँ मिलाके जिया
रूम झूम बरसे