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मज़दूर lyrics

छायें हैं काले मेघ
ये रंग बिरंगी ड़ोर रे
म्हणत काश इस दुनिया
बात अधूरी क्यों है
तुम्हे भूल जाने का
पेट में रोटी
पहला पहला प्यार
नाना हो गया दीवाना
नाच उठी है रे
हम म्हणत काश