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Lyricsgram
कुदरत lyrics
सावन नहीं भादों नहीं
दुःख सुख की
सजती है यूँ ही महफ़िल
छोडो सनम काहे का गम
तूने ो रंगीले कैसा जादू किया
हमें तुमसे प्यार कितना