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कवि कालिदास lyrics

सखि ह्रदय में हलचल
शाम भाई घनश्याम न आये
नए नए रंगों से लिखती
मैं जनम जनम की प्यासी
जय सरस्वती
अभिज्ञान शाकुन्तल सुन्दर
सखि ह्रदय में
प्रीत के बंधन में
दूर देख अल्कापुरी
आज की रात
दूर देश से कोई सपेरा आया