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इन्साफ की मंज़िल lyrics

हे चित्रगुप्त भगवन
ओ रे पिया तुम्ही को दिल दिया
देख तमाशा लकड़ी का
गोरी सपनो में है
सांईअ सौतनिया के घर गए
आइए मेहरबान