Lyricsgram

हमारी बात lyrics

साक़ी की निगाहें शराब है
वह दिल में घर किये थे
सूखी बगिया हरी हुयी
मैं उनकी बन जाऊं रे
करवटें बदल रहा है
जीवन जमुना पार
इन्सान क्या जो
बिस्तर बिछा दिया है
बादल दल से निकल चला
ए बाद े सबा इठलाती न आ