Lyricsgram

गंगा की सौगन्द lyrics

जब जुल्म किसी जालिम का
देखो सपने सजे
चल मुसाफिर
रूप जब ऐसा मिला
मानो तो मैं गंगा
तूने हर रात
आँख लड़ी हमसे