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दरबार lyrics

क्यूँ दिल पे रखा हाथ है
दुपट्टा मेरा ढलक गया सर से
किसी गरीब का घर
हम क्यों रोते है रातों को
तेरी ऐडा पर निसार करने
पसंद आया है दिल मेरा तोह
मैंने तुझे देखा है