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दासी lyrics

हो रसिया हो कभी लेय
राते न रही वो
मिल के बिछड़ मत जाना
मेरी आरज़ू देख
वो दिन याद करो
सुबह हुयी हर पंछी जागे
खामोश निगाहें
धान के खेत में
देखा करो भगवान्
बालम मोहे छेड़ो न
पुराणी चिलमनें
प्रेमी सभी होते है
पिया बिन जिया नहीं लगे
पलकन से मार्गः झारू
मैं एक फनकार हूँ
लोगो का ये बहाना
बिंदिया जगाये
अँधेरी रात में