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अनपढ़ lyrics

वो देखो जला घर किसी का
सिकंदर ने पोरस से की थी लड़ाई
दुल्हन मारवाड़ की
रंग बिरंगी राखी लेके
जिया ले गयो जी मोरे साँवरिया
है इस ही में प्यार की आबरू
आप की नज़रों ने समझा
सलामत रहो तुम
हमरा मुखड़ा चांद का टुकड़ा
घर के अंदर
ए जी कहो क्या हल है
नग्मे गाओ कलिया बरसाओ